बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 प्राचीन भारतीय इतिहास बीए सेमेस्टर-3 प्राचीन भारतीय इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 प्राचीन भारतीय इतिहास
प्रश्न- नागभट्ट द्वितीय के विषय में बताते हुए उसकी राजनैतिक उपलब्धियों की चर्चा कीजिए।
अथवा
प्रतिहार नरेश नागभट्ट द्वितीय की सैन्य उपलब्धियों को विस्तार से समझाइए।
अथवा
नागभट्ट - II की राजनीतिक उपलब्धियों की विवेचना कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. नागभट्ट द्वितीय के विषय में बताइए।
2. नागभट्ट द्वितीय की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
3. 'नागभट्ट का कान्यकुब्ज पर अधिकार' पर संक्षेप में लेख लिखिए।
4. नागभट्ट द्वितीय द्वारा राज्य विस्तार को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
नागभट्ट द्वितीय (795833 ई.)
राष्ट्रकूट नरेश से वत्सराज की पराजय के बाद की घटनाओं के सम्बन्ध में अभी तक कोई साक्ष्य प्राप्त नहीं है। अतः नागभट्ट द्वितीय के शासनकाल की प्रारम्भिक घटनाओं के सम्बन्ध में ऐतिहासिक साक्ष्यों का पूर्ण अभाव है, परन्तु फिर भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से उसके वंश के तथा अन्य वंशों के शिलालेख ऐसे मिलते हैं जिनमें इस परम प्रतापी सम्राट के कार्यों का उल्लेख है। इन शिलालेखों में निम्नलिखित-
शिलालेख प्रमुख हैं-
1. ग्वालियर अभिलेख,
2. माने लेख
3. जोधपुर शिलालेख
4. संजन लेख,
5. बड़ौदा ताम्रपत्र,
6. बगुला (जोधपुर) शिलालेख, तथा
7. चन्द्रप्रभा सूरि का वप्पाभट्टचरित।
वत्सराज का पुत्र एवं उत्तराधिकारी नागभट्ट द्वितीय था। उसकी माता का नाम सुन्दर देवी था नागभट्ट द्वितीय देवी भगवती का उपासक था। राष्ट्रकूट विजयों ने गुर्जर वंश को समाप्त कर दिया था। पराजय के काले मेघों से निकालकर सूर्य का तेजमय प्रकाश प्रदान करने वाला नागभट्ट द्वितीय का कब आविर्भाव हुआ अर्थात् वह सिंहासन पर कब बैठा, इस सम्बन्ध में विद्वानों में बड़ा मतभेद है। याने पत्रों के अनुसार उसके राष्ट्रकूट संघर्ष की तिथि सन् 802 ई. है। माने पत्रों की ऐतिहासिकता संदेहास्पद है। परन्तु सिसवाई दानपत्रों के मिल जाने से उपरोक्त लेख की ऐतिहासिकता में संदेह करने का कोई कारण नहीं "प्रतीत होता। प्रो० मीराशी जैसे सुप्रसिद्ध इतिहासकार ने भी माने पत्रों के सम्बन्ध में अब अपने विचारों में परिवर्तन कर दिया है और इन पत्रों को प्रामाणिक स्वीकार कर लिया है। इसके अतिरिक्त शिलालेख की लिपि भी तिथि की पुष्टि करती है। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि इन प्लेटों के उत्कीर्ण किये जाने के पूर्व ही युद्ध हुआ होगा। अतः नागभट्ट द्वितीय का राज्यारोहण भी इस तिथि के पूर्व ही हुआ होगा। सम्भवतः वह तिथि सन् 795 ई. के लगभग रही होगी।
राजनैतिक उपलब्धियाँ
सिंहासन प्राप्त करने के शीघ्र पश्चात् ही नागभट्ट द्वितीय ने अपने पिता की पराजय का प्रतिशोध लेने का प्रयास किया। सन् 871 ई. के अमोघवर्षे प्रथम के संजन ताम्रपत्र के अनुसार राष्ट्रकूट नरेश गोविन्द तृतीय ने युद्ध क्षेत्र में नागभट्ट और चन्द्रगुप्त के अंचल गौरव को हर लिया। नागभट्ट निश्चित रूप से वत्सराज का पुत्र था? एक अन्य विवरण से ज्ञात होता है कि नागभट्ट के बाहुक धबल नामक सामन्त ने राष्ट्रकूट सेना के किसी अंग पर विजय प्राप्त की। सम्भवतः यह विजय कोई स्थानीय विजय थी। प्रबल के पठारी स्तम्भ लेख के अनुसार कर्कराज ने नागावलोक को युद्ध क्षेत्र में पराजित कर दिया। डॉए भण्डारकर और उनके समकालीन सभी विद्वान नागावलोक का समीकरण नागभट्ट द्वितीय से करते हैं। इस शिलालेख की तिथि सन् 861 ई. है। इसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि प्रवाल ने दीर्घकाल तक शासन किया और सम्भवतः कर्कराज गोविन्द तृतीय का सामन्त था। उसने सामन्त रूप में ही नागभट्ट द्वितीय पर विजय प्राप्त की थी। अतः इस अभियान में गोविन्द तृतीय को सफलता प्राप्त हुई।
माने पत्र, नौसेरी पत्र, सिसवाई दानपत्र, राधनपुर लेख, नीलगढ़ शिलालेख से इस अभियान की तिथि के विषय में ज्ञात होता है। इन सभी साक्ष्यों में नागभट्ट द्वितीय और गोविन्द तृतीय के संघर्ष का उल्लेख है। माने पत्रों की तिथि सन् 802 ई. है। अतः यह युद्ध इस तिथि के पूर्व ही हुआ होगा परन्तु इस सम्बन्ध में कुछ भी निश्चय पूर्व नहीं कहा जा सकता।
कान्यकुब्ज (कन्नौज) पर अधिकार - निःसन्देह गोविन्द तृतीय से पराजित होने के उपरान्त नागभट्ट द्वितीय को अपनी शक्ति संगठित करने में कुछ समय अवश्य लगा होगा। अतः कन्नौज पर उसके आक्रमण की तिथि निश्चित रूप से बाद की घटना है।
संजन ताम्रपत्र के अनुसार धर्मा और चक्रायुध ने गोविन्द तृतीय के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। विद्वानों ने लेख के धर्मा और चक्रायुध का समीकरण गौड़ नरेश धर्मपाल और उसके निर्वाचित शासक कन्नौज नरेश चक्रायुद्ध से किया है। कुछ इतिहासकारों का कथन है कि यदि चक्रायुध गोविन्द तृतीय के आक्रमण के समय कन्नौज पर शासन नहीं कर रहा था तो संजन ताम्रपत्र में उसके नाम के उल्लेख किये जाने का कोई अर्थ ही नहीं था।
अतीत का प्रतिशोध लेने के लिये नागभट्ट द्वितीय ने कन्नौज पर आक्रमण किया। इस आक्रमण का विवरण ग्वालियर (सगरताल ) शिलालेख में प्राप्त होता है। नागभट्ट द्वितीय ने चक्रायुध पर विजय प्राप्त करके कन्नौज पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया। इस समय से कन्नौज गुर्जर प्रतिहारों को नयी राजधानी बन गई। इसी समय से उत्तर भारत के नागभट्ट द्वितीय की शक्ति में असाधारण वृद्धि हो गयी और उसने सन् 815 ई. में बकुला अभिलेख में दी गई उपाधियाँ परम भट्टारक, महाराजाधिराज परमेश्वर को चरितार्थ कर दिया।
पालवंशीय नरेशों से युद्ध - यद्यपि इस समय राष्ट्रकूटों के पारस्परिक संघर्षों के कारण नागभट्ट द्वितीय की शक्ति में असाधारण वृद्धि हो गई थी, परन्तु बंगाल के पालवंशीय नरेश धर्मपाल के लिये यह असहनीय था कि उसके सामन्त स्तरीय शासक चक्रायुध को सदैव के लिए सिंहासन से च्युत कर दिया जावे। अतः पाल नरेश धर्मपाल ने नागभट्ट द्वितीय पर आक्रमण कर दिया। ग्वालियर अभिलेख में इस घटना का पूर्ण विवरण मिलता है।
ग्वालियर अभिलेख के विवरण से स्पष्ट है कि इस संघर्ष में नागभट्ट द्वितीय विजयी रहा। परन्तु यह युद्ध किस स्थल पर हुआ? विद्वानों का विचार है कि सम्भवतः यह युद्ध मुदगगिरि (मुंगेर) में हुआ था।, बाऊक के जोधपुर शिलालेख के अनुसार कक्क ने मुदगगिरि नामक स्थान पर गौड़ों से युद्ध किया। सम्भवतः कक्क नागभट्ट द्वितीय का सामन्त था परन्तु यह विश्वसनीय नहीं है कि उसने अकेले ही गौड़ों से युद्ध किया हो। सम्भवतः उसने अपने स्वामी के साथ एक सामन्त के रूप में युद्ध किया था।
सम्भवत: नागभट्ट द्वितीय के एक अन्य सामन्त शंकरगण ने भी पालों के विरुद्ध युद्ध में भाग लिया था। बालादित्य के चाटसु अभिलेख के अनुसार गौड़ों पर विजय प्राप्त करके भट्ट (नागभट्ट) तलवार के बल पर समस्त संसार का स्वामी बन गया। इसी आधार पर उक्त कथन की पुष्टि होती है।
राज्य विस्तार - निःसन्देह नागभट्ट द्वितीय को आरम्भ में राष्ट्रकूट नरेश से पराजित होना पड़ा, परन्तु कालान्तर में उसने क्रमशः अनेक सफलताएं प्राप्त कीं। गौड़ नरेश पर विजय प्राप्त करके उसने अपने साम्राज्य की सीमाओं में वृद्धि की। ग्वालियर अभिलेख के अनुसार आन्ध्र, सिन्धु, विदर्भ तथा कलिंग के शासक नागभट्ट द्वितीय की ओर उसी प्रकार चले आये जिस प्रकार पतंके दीपक की लौ की ओर आते हैं। इतिहासकारों ने इन स्थानों का समीकरण क्रमशः गोदावरी और कृष्णा नदियों के मध्य का प्रदेश, सिन्धु नदी का प्रदेश बरार तथा उड़ीसा के प्रदेशों से किया है।
इसी शिलालेख से ज्ञात होता है कि नागभट्ट द्वितीय ने आनर्त, मालवा, किरात, तुरुष्क, वत्स और मत्स्य के प्रदेशों को बलात् उनके शासकों से छीन लिया। विद्वानों ने इन स्थानों का समीकरण उत्तरी काठियावाड़, मध्य भारत हिमालय अथवा अन्य पर्वतीय क्षेत्र के कबीले तथा पश्चिमी भारत के अरब अधिकृत क्षेत्र, कौशाम्बी तथा पूर्वी राजपूताना के क्षेत्रों से किया है। यदि ग्वालियर अभिलेख के कथन को स्वीकार किया जाये तो नागभट्ट द्वितीय के साम्राज्य के अन्तर्गत पूर्व से लेकर पश्चिम तक के प्रदेश तथा हिमालय से लेकर नर्मदा तक का क्षेत्र सम्मिलित था। इसके अतिरिक्त उत्तरी पश्चिमी भाग और पाल साम्राज्य के कुछ क्षेत्र भी उसके साम्राज्य में सम्मिलित थे। यद्यपि शिलालेख की भाषा और शब्दों के प्रयोग से यह निश्चयपूर्वक नहीं कहा जा सकता है कि लेखक ने किस सीमा तक अतिशयोक्ति का सहारा लिया है, परन्तु डॉ. आर. एस. त्रिपाठी का कथन है "नागभट्ट द्वितीय के साम्राज्य के अन्तर्गत राजपूताने का कुछ भाग उत्तर प्रदेश का विशाल भूखण्ड, मध्य भारत और सम्भवतः उत्तरी काठियावाड़, कौशाम्बी और दक्षिण पूर्व के निकटवर्ती प्रदेश थे।"
अन्तिम काल - नागभट्ट द्वितीय ने सन् 833 ई. तक शासन किया। प्रभावकचरित के अनुसार नागभट्ट ने भाद्रपद विक्रम संवत 833 ई. में गंगा के पवित्र जल में डूबकर अपने प्राणों का अन्त कर दिया।
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- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने हेतु उपयोगी स्रोतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सन 1909 ई. अधिनियम पारित होने के कारण बताइये।
- प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास को जानने में विदेशी यात्रियों / लेखकों के विवरण की क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, (1909 ई.) के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1909 ई. के मुख्य दोषों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- 1935 के भारत सरकार अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- शिलालेख, पुरातन के अध्ययन में किस प्रकार सहायक होते हैं?
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1935 ई. का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- न्यूमिजमाटिक्स की उपयोगिता को बताइए।
- प्रश्न- 'भारत के प्रजातन्त्रीकरण में 1935 ई. के अधिनियम ने एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। क्या आप इस कथन से सहमत हैं?
- प्रश्न- पुरातत्व स्मारक के महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1919 ई. के प्रमुख प्रावधानों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अरबों के आक्रमण के समय उत्तर भारत की राजनीतिक दशा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सन् 1995 ई. के अधिनियम के अन्तर्गत गर्वनरों की स्थिति व अधिकारों का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- हर्षवर्द्धन के इतिहास को समझने में ह्वेनसांग के विवरण हमारी कहाँ तक सहायता करते हैं?
- प्रश्न- माण्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार (1919 ई.) के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हर्ष की प्रारम्भिक परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए उसकी राजनैतिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियाँ बताइए।
- प्रश्न- लोकतंत्र के आयाम से आप क्या समझते हैं? लोकतंत्र के सामाजिक आयामों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हर्ष के पश्चात् कन्नौज की स्थिति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोकतंत्र के राजनीतिक आयामों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- सिन्ध पर अरब आक्रमण के प्रभाव की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले कारकों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- कश्मीर के राजनैतिक इतिहास में भाग लेने वाले वंशों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले संवैधानिक कारकों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- कश्मीर के शासक ललितादित्य मुक्तापीड के शासनकाल व राजनैतिक सफलताओं के विषय में बताइए।
- प्रश्न- संघवाद (Federalism) से आप क्या समझते हैं? क्या भारतीय संविधान का स्वरूप संघात्मक है? यदि हाँ तो उसके लक्षण क्या-क्या हैं?
- प्रश्न- कश्मीर के हिन्दू राज्य का इतिहास हमें किस ग्रन्थ से प्राप्त होता है?
- प्रश्न- भारतीय संविधान संघीय व्यवस्था स्थापित करता है। संक्षेप में बताएँ।
- प्रश्न- ललितादित्य व यशोवर्मन के मध्य हुए पारस्परिक संर्घष के विषय में बताइए।
- प्रश्न- संघवाद से आप क्या समझते हैं? संघवाद की पूर्व शर्तें क्या हैं? भारत के सन्दर्भ में संघवाद की उभरती हुई प्रवृत्तियों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- कन्नौज के शासक यशोवर्मन के प्रारम्भिक जीवन एवं राजनीतिक सफलता के विषय में बताइए |
- प्रश्न- भारत के संघवाद को कठोर ढाँचे में नही ढाला गया है" व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- यशोवर्मन की मृत्यु के पश्चात् कन्नौज पर अधिकार करने के लिये किन शक्तियों में त्रिकोणात्मक संर्घष प्रारम्भ हुआ? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- राज्यों द्वारा स्वयत्तता (Autonomy) की माँग से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- कन्नौज का यशोवर्मन किस वंश का था? बताइए।
- प्रश्न- क्या भारत को एक सच्चा संघ (True Federation) कहा जा सकता है?
- प्रश्न- यशोवर्मन के शासनकाल के विषय में बताते हुए उसके दरबार के विद्वानों तथा उत्तराधिकारियों के नाम बताइए।
- प्रश्न- संघीय व्यवस्था में केन्द्र शक्तिशाली है क्यों?
- प्रश्न- त्रि-शक्ति संघर्ष के विषय में लिखिए।
- प्रश्न- क्या भारतीय संघीय व्यवस्था में गठबन्धन की सरकारें अपरिहार्य हैं? चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सिंध राजवंश के विषय में विस्तृत रूप से बताइये।
- प्रश्न- क्या क्षेत्रीय राजनीतिक दल भारतीय संघीय व्यवस्था के लिए संकट है? चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सिंध पर अरबों की सफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- केन्द्रीय सरकार के गठन में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "चचनामा" के विषय में संक्षिप्त रूप से बताइये।
- प्रश्न- भारत में गठबन्धन सरकार की राजनीति क्या है? गठबन्धन धर्म से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- दाहिर व मोहम्मद बिन कासिम पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
- प्रश्न- सिन्ध के इतिहास को संक्षिप्त रूप से अवगत कराइये।
- प्रश्न- राजनीतिक दलों का वर्गीकरण करें। दलीय पद्धति कितने प्रकार की होती है? गुण-दोषों के आधार पर विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अरोड़ की लड़ाई पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- दलीय पद्धति के लाभ व हानियाँ क्या हैं?
- प्रश्न- राजपूतों की उत्पत्ति के सम्बन्ध में विभिन्न मतों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय दलीय व्यवस्था में पिछले 60 वर्षों में आए परिवर्तनों के कारणों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतकालीन सामाजिक संरचना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक उदारवाद के इस युग में भारत में गठबंधन की राजनीति के भविष्य की आलोचनात्मक चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों की अग्निकुण्ड से उत्पत्ति के विषय में बताइए।
- प्रश्न- दलीय प्रणाली (Party System) में क्या दोष पाये जाते हैं?
- प्रश्न- अलबरूनी के भारत विवरण का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
- प्रश्न- राजपूतों के स्थानीय प्रशासन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय दलों के उदय एवं विकास के लिए उत्तरदायी तत्व कौन से हैं?
- प्रश्न- राजपूत काल में साहित्य की प्रगति की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'गठबन्धन धर्म' से क्या तात्पर्य है? क्या यह नियमों एवं सिद्धान्तों के साथ समझौता है?
- प्रश्न- गुर्जर प्रतिहार वंश की उत्पत्ति से सम्बन्धित विभिन्न सिद्धान्तों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीय दलों के अवगुण, टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- नागभट्ट प्रथम कौन था? प्रतिहार वंश के राजनैतिक इतिहास में उसकी उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है? सामुदायिक विकास कार्यक्रम का क्या उद्देश्य है?
- प्रश्न- प्रतिहार वंश के शासक वत्सराज के विषय में आप क्या जानते हैं? उनकी उपलब्धियों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- नागभट्ट द्वितीय के विषय में बताते हुए उसकी राजनैतिक उपलब्धियों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- पंचायती राज से आप क्या समझते हैं? ग्रामीण पुननिर्माण में पंचायतों के कार्यों एवं महत्व को बताइये।
- प्रश्न- "प्रतिहार वंश के शासकों में मिहिरभोज सर्वाधिक महत्वपूर्ण शासक था।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय ग्राम पंचायतों के दोषों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिहार वंश के शासक महेन्द्रपाल प्रथम के विषय में बताते हुए उसकी विजयों का भी उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- ग्राम पंचायतों का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
- प्रश्न- प्रतिहार शासक महिपाल प्रथम के व्यक्तित्व एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- क्षेत्र पंचायत के संगठन तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गुर्जर प्रतिहारों की शासन व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जिला पंचायत का संगठन तथा ग्रामीण समाज में इसकी भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिहारकालीन सामाजिक और धार्मिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में स्थानीय शासन के सम्बन्ध में 'पंचायत राज' के सिद्धान्त व व्यवहार की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- नागभट्ट प्रथम की उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नगरपालिका क्या है? तथा नगरपालिका के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिहार वंश के पतन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नगरीय स्वायत्त शासन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- गुर्जर शासन का महत्व बताइए।
- प्रश्न- ग्राम सभा के प्रमुख कार्य बताइये।
- प्रश्न- प्रतिहार वंश का प्रसिद्ध शासक आप किसे मानते हैं?
- प्रश्न- ग्राम पंचायत की आय के प्रमुख साधन बताइये।
- प्रश्न- मिहिरभोज के आधिपत्य का विस्तार बताइए।
- प्रश्न- पंचायती व्यवस्था के चार उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- राजशेखर के ग्रन्थ के विषय में बताइए।
- प्रश्न- ग्राम पंचायत के चार अधिकार बताइये।
- प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष के क्या कारण थे? इसमें शामिल प्रमुख शक्तियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- न्याय पंचायत का गठन किस प्रकार किया जाता है?
- प्रश्न- सोलंकी वंश की विस्तृत व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- ग्राम पंचायत से आप क्या समझते तथा ग्राम सभा तथा ग्राम पंचायत में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- सोलंकी वंश के प्रमुख शासकों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- ग्राम पंचायत की उन्नति के लिए सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष के परिणाम पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ग्रामीण समुदाय पर पंचायत के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष में राष्ट्रकूटों की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- भारत में पंचायत राज संस्थाएँ बताइये।
- प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष में पालों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्र पंचायत का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
- प्रश्न- सोलंकी वंश के इतिहास को जानने के साधनों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- ग्राम पंचायत के महत्व को बढ़ाने के लिए सरकार के द्वारा क्या प्रयास किये गये हैं?
- प्रश्न- सोलंकी वंश के राजनैतिक इतिहास के विषय में बताइये।
- प्रश्न- नगर निगम के संगठनात्मक संरचना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परमार वंश का इतिहास जानने के साधनों का वर्णन कीजिए। इस वंश की उत्पत्ति के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नगर निगम के भूमिका एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परमार शासक मुंज के विषय में बताइए। उसके शासन काल की राजनैतिक उपलब्धियों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- नगरीय स्वशासन संस्थाओं की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परमार नरेश भोज का परिचय दीजिए। भारतीय इतिहास में उसकी राजनैतिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- नगरीय निकायों की संरचना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- परमार वंश का प्रसिद्ध शासक आप किसे मानते हैं?
- प्रश्न- नगर पंचायत पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- परमारों की कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- दबाव व हित समूह में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- परमार शासन व्यवस्था के बारे में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- दबाव समूह से आप क्या समझते हैं? दबाव समूहों के क्या लक्षण हैं? दबाव समूहों द्वारा अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली के विषय में बतायें।
- प्रश्न- परमार वंश के पतन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दबाव समूह अपने हित पूरा करने के लिए किस प्रकार कार्य करते हैं?
- प्रश्न- नवसाहसांकचरित में वर्णित परमारों के इतिहास के विषय में बताइए।
- प्रश्न- दबाव समूहों के महत्व पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- भोज के उत्तराधिकारियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
- प्रश्न- किन साधनों से बंगाल के पाल वंश के विषय में जानकारी प्राप्त होती है? इसकी उत्पत्ति के विषय में बताइए।
- प्रश्न- दबाव समूह किसे कहते हैं? दबाव समूह के कार्यों को लिखिए। भारत की राजनीति में दबाव समूहों की भूमिका की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- पाल नरेश धर्मपाल के विषय में बताते हुए उसकी उपलब्धियों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मतदान व्यवहार क्या है? मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्वों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पाल नरेश देवपाल के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी राजनैतिक उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
- प्रश्न- भारतीय इतिहास में पाल वंश के योगदान का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- दबाव समूहों के दोषों का वर्णन करें।
- प्रश्न- पालकालीन कला एवं स्थापत्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में श्रमिक संघों की विशेषताएँ। टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- धर्मपाल की पराजय के विषय में बताइए।
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पालों की राजनैतिक सत्ता का चर्मोत्कर्ष बताइए।
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को दूर करने के सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- हिन्दू शाही के पराक्रमी राजा "भीमदेव के विषय में विस्तृत रूप से बताइये।
- प्रश्न- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1996 के अंतर्गत चुनाव सुधार के संदर्भ में किये गये प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दू शाही को विस्तृत रूप से बताइये।
- प्रश्न- क्या निर्वाचन आयोग एक निष्पक्ष एवं स्वतन्त्र संस्था है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दू शाही वंश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- चुनाव सुधारों में बाधाओं पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- त्रिलोचनपाल एवं भीमपाल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्व बताइये।
- प्रश्न- महमूद गजनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- चुनाव सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- मुस्लिम आक्रमण के समय उत्तर की राजनीतिक स्थिति का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- अलगाव से आप क्या समझते हैं? अलगाववाद के कारण क्या हैं?
- प्रश्न- महमूद गजनवी के भारतीय आक्रमणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राजनीति में धर्म की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चन्देल वंश के इतिहास के साधनों का वर्णन करते हुए इस वंश की उत्पत्ति के सम्बन्ध में बताइए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता से आप क्या समझते हैं? धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक पक्ष को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- चन्देल नरेश यशोवर्मन कौन था? उसकी राजनैतिक उपलब्धियों पर विस्तार से चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सकारात्मक राजनीतिक कार्यवाही से क्या आशय है? इसके लिए भारतीय संविधान में क्या प्रावधान किए गए हैं?
- प्रश्न- चन्देल नरेश धंग के शासन काल एवं उसकी उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जाति को परिभाषित कीजिए। भारतीय राजनीति पर जातिगत प्रभाव का अध्ययन कीजिए। जाति के राजनीतिकरण की विवेचना भी कीजिए।
- प्रश्न- चन्देल शासक विद्याधर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- निर्णय प्रक्रिया में राजनीतिक दलों में जाति की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- कीर्तिवर्मन कौन था? उसके शासन काल के विषय में बताते हुए उसकी विजयों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राज्यों की राजनीति को जाति ने किस प्रकार प्रभावित किया है?
- प्रश्न- चन्देल शासन काल में कला की क्या स्थिति थी?
- प्रश्न- क्षेत्रीयतावाद (Regionalism) से क्या अभिप्राय है? इसने भारतीय राजनीति को किस प्रकार प्रभावित किया है? क्षेत्रवाद के उदय के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- चन्देलों के पतन के लिये कौन उत्तरदायी था?
- प्रश्न- भारतीय राजनीति पर क्षेत्रवाद के प्रभावों का अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- खजुराहो मन्दिरों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- क्षेत्रवाद के उदय के लिए कौन-से तत्व जिम्मेदार हैं?
- प्रश्न- प्रतिहार साम्राज्य के पतन के बाद बुन्देलखण्ड (जेजाकभुक्ति) में किस वंश का उदय हुआ?
- प्रश्न- भारत में भाषा और राजनीति के सम्बन्धों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- महमूद गजनवी का चन्देलों पर आक्रमण' के विषय में बताइए।
- प्रश्न- उर्दू और हिन्दी भाषा को लेकर भारतीय राज्यों में क्या विवाद है? संक्षेप में चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- चाहमान वंश के इतिहास जानने के साधनों को बताते हुए इसकी उत्पत्ति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा की समस्या हल करने के सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- चाहमान नरेश अणराज के विषय में आप क्या जानते हैं? उसके शासनकाल में हुए प्रमुख युद्धों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता से आप क्या समझते हैं? साम्प्रदायिकता के उदय के कारण और इसके दुष्परिणामों की चर्चा करते हुए इसको दूर करने के सुझाव बताइये। भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता का क्या प्रभाव पड़ा? समझाइये।
- प्रश्न- चाहमान शासक विग्रहराज चतुर्थ के राज्यकाल का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता के उदय के पीछे क्या कारण हैं?
- प्रश्न- पृथ्वीराज तृतीय के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी सफलताओं एवं असफलताओं परं विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता के दुष्परिणामों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- चाहमानों की शासन व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता को दूर करने के सुझाव दीजिये।
- प्रश्न- शाकम्भरी के चाहमान (चौहान) का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता के प्रभाव का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- विग्रहराज चतुर्थ की उपलब्धियाँ बताइए।
- प्रश्न- जाति व धर्म की राजनीति भारत में चुनावी राजनीति को कैसे प्रभावित करती है। क्या यह सकारात्मक प्रवृत्ति है या नकारात्मक?
- प्रश्न- पृथ्वीराजरासो पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- "वर्तमान भारतीय राजनीति में धर्म, जाति तथा आरक्षण प्रधान कारक बन गये हैं।" इस पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विग्रहराज चतुर्थ के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'जातिवाद' और सम्प्रदायवाद प्रजातंत्र के दो बड़े शत्रु हैं। टिप्पणी करें।
- प्रश्न- चाहमानों का बुन्देलखण्ड पर आक्रमण बताइए।
- प्रश्न- उत्तर प्रदेश के बँटवारे की राजनीति को समझाइए।
- प्रश्न- गहड़वाल वंश का इतिहास जानने के साधनों का उल्लेख कीजिए। इसकी उत्पत्ति के सम्बन्ध में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- जन राजनीतिक संस्कृति के विकास के कारण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गहड़वाल शासक गोविन्दचन्द्र के विषय में बताते हुए उसकी विजयों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 'भारतीय राजनीति में जाति की भूमिका' संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- गहड़वाल नरेश जयचन्द्र का परिचय दीजिए। उसकी राजनीतिक सफलताओं तथा असफलताओं का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- चुनावी राजनीति में भावनात्मक मुद्दे पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गहड़वाल नरेशों के 'शासन प्रबन्ध' पर एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार से क्या अभिप्राय है? भ्रष्टाचार की समस्या के लिए कौन से कारण उत्तरदायी हैं? इस समस्या के समाधान के लिए उपाय बताइए।
- प्रश्न- गोविन्दचन्द्र गहड़वाल के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- भ्रष्टाचार के लिए कौन-कौन से कारण उत्तरदायी हैं?
- प्रश्न- जयचन्द गहड़वाल के राज्यकाल की घटनाएँ बताइये।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार उन्मूलन के कौन-कौन से उपाय हैं?
- प्रश्न- गोविन्दचन्द्र के किन राज्यों से कूटनीतिक सम्बन्ध थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में राजनैतिक, व्यापारिक-औद्योगिक तथा धार्मिक क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कलचुरि वंश के शासक गांगेयदेव के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी विजयों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार क्या है? भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कलचुरि नरेश लक्ष्मीकर्ण के विषय में बताइए उसके शासन काल की प्रमुख राजनैतिक उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कलचुरि वंश का इतिहास जानने के साधन बताइए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार के प्रभावों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- गांगेयदेव के राज्यकाल की घटनाएँ लिखिए।
- प्रश्न- सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार की रोकथाम के सुझाव दीजिये।
- प्रश्न- कलचुरि वंश के पतन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बंगाल के सेन वंश के विषय में आप क्या जानते हैं? यहाँ के शासक विजयसेन की राजनैतिक उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार की विशेषताओं को बताइए।
- प्रश्न- सेन वंश के नरेश लक्ष्मणसेन का परिचय दीजिए। उसकी राजनैतिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- लोक जीवन में भ्रष्टाचार के कारण बताइये।
- प्रश्न- बंगाल के सेन वंश का संक्षिप्त इतिहास लिखिए।
- प्रश्न- राष्ट्रपति शासन क्या है? यह किन परिस्थितियों में लागू होता है? राष्ट्रपति शासन लगने से क्या परिवर्तन होता है?
- प्रश्न- अरबों के सिन्ध पर आक्रमण का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- दल-बदल की समस्या (भारतीय राजनैतिक दलों में)।
- प्रश्न- अरबों की सिन्ध विजय के परिणामों का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री के सम्बन्धों पर वैधानिक व राजनीतिक दृष्टिकोण क्या है? उनके सम्बन्धों के निर्धारक तत्व कौन-से हैं?
- प्रश्न- महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- दल-बदल कानून (Anti Defection Law) पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- गोरी के आक्रमण के समय भारत की राजनीतिक स्थिति बताइए।
- प्रश्न- संविधान के क्रियाकलापों पर पुनर्विलोकन हेतु स्थापित राष्ट्रीय आयोग (2002) की दलबदल नियम पद संस्तुति, टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मुहम्मद गोरी के भारतीय अभियानों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 12वीं शताब्दी में मुसलमानों की विजय और हिन्दुओं की पराजय के क्या कारण थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- तुर्क आक्रमण के क्या कारण थे? इसका भारत पर क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- मुस्लिम आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय शासकों के प्रतिरोध पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- महमूद गजनवी के आक्रमणों के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अरबों के आक्रमण के समय भारत की दशा क्या थी?
- प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध के परिणामों का वर्णन कीजिए।